विचारों और प्रश्नों का परस्पर द्वंध युद्ध,
जो हुआ विजयी तो भूपेश अर्जुन अन्यथा कृष्ण।
तो क्या पराजय को अपनाऊँ और त्रिलोकी मैं श्रेष्ठी कहलाऊँ?
या विजेता बन स्वयं ब्रहम हो जाऊं!
उत्तर देगा कौन जब अंतर मन है मौन ?
रुको ! ठहरो ! देखो भीतर कोई जागा ,
महापुरुष करें मार्गदर्शन तो कैसे रहूँ अभागा .
प्रशन उठा -
कर्म मार्ग की उपेक्षा ज्ञान मार्ग लुभाए ,
परन्तु ज्ञान के पथ पर एक पग आगे बड़ा न जाये .
सभ्यसाँची! तप तो दोनों परिस्थितियों का है उत्तर,
विलक्षण हो तपोकर्म को पूरण कर करे ज्ञान को निरुत्तर।
जहाँ प्रश्नावली , शब्दावली , और उत्तर कोष हो पूर्ण ,
ऐसे ही उस शोक्न्य में तू पएगा ब्रहम सम्पूर्ण .
रंजिता शर्मा