प्रश्न ! अथवा उत्तर ? 

विचारों और प्रश्नों का परस्पर द्वंध युद्ध,
जो हुआ विजयी तो भूपेश अर्जुन अन्यथा कृष्ण।
तो क्या पराजय को अपनाऊँ और त्रिलोकी मैं श्रेष्ठी कहलाऊँ?
या विजेता बन स्वयं ब्रहम हो जाऊं! 

उत्तर देगा कौन जब अंतर मन है मौन ?

रुको ! ठहरो ! देखो भीतर कोई जागा ,
महापुरुष करें मार्गदर्शन तो कैसे रहूँ अभागा .

प्रशन उठा -
कर्म मार्ग की उपेक्षा ज्ञान मार्ग लुभाए ,
परन्तु ज्ञान के पथ पर एक पग आगे बड़ा न जाये .

सभ्यसाँची! तप तो दोनों परिस्थितियों का है उत्तर,
विलक्षण हो तपोकर्म को पूरण कर करे ज्ञान को निरुत्तर।

जहाँ प्रश्नावली , शब्दावली , और उत्तर कोष हो पूर्ण ,
ऐसे ही उस शोक्न्य में तू पएगा ब्रहम सम्पूर्ण .

रंजिता शर्मा


नूतन वर्ष 2013

अभिनन्दन नूतन वर्ष की नवकिरणों का,
ऊषा में खेलती कोमल कोपलों का।
नववर्ष की केसरी नवप्रभात का,
शरद ऋतु के मध्म रवि-प्रताप का।

हर क्षण जीवन में उत्पन्न नव-उल्लास का,
आशाओं के सृजन और पूर्णता के एहसास का।

आज पुनः स्वयं से सबका नव-परिचय करवाती हूँ,
हर क्षण के लिए नवीन निश्चय बनाती हूँ।

आध्यात्म और आत्मज्ञान मार्ग-दर्शन कराएँगे ,
कहीं रह भटके कदम तो गुरुचरण मार्ग दिखाएँगे।

सत्य, अहिंसा, और शांति की होगी सद्रिड स्थापना,
उन्नतिपथ पर लगनशील, केवल इश्वर से होगी याचना।

उस परमब्रह्म से मिलन का निरन्तर होगा अभ्यास,
क्षणित ब्रह्मज्ञान का विचार भी जीवन में लाये हर्षोल्लास।

रंजिता शर्मा